ये जीवन है साहब... उलझेंगे नहीं तो सुलझेंगे कैसे...


ये जीवन है साहब... उलझेंगे नहीं तो सुलझेंगे कैसे..
और
 बिखरेंगे नहीं तो...
 निखरेंगे कैसे...
  "ख़्वाब" भले तुटते रहे मगर "हौंसले" फिर भी ज़िंदा हो "हौसला" अपना ऐसा रखो जहाँ मुश्किलें भी "शर्मिंदा" हो!!!
Swapnil Kankute

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